स्वतंत्रता का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Liberty)

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स्वतंत्रता का अर्थ

यह शब्द अंग्रेजी के लिबर्टी (LIBERTY) शब्द से बना है। जिसकी हिन्दी रूपांतरण/ अर्थ है बंधनों का अभाव या मुक्ति या अपनी इच्छा के अनुसार कार्य करना। संसद का इतिहास स्वतंत्रता के लिए संघर्ष का इतिहास रहा है। 

पैतीक हैनरी के अनुसार :- “मुझे स्वतंत्रता दीजिए या मृत्यु”

बाल गंगाधर के अनुसार :- “स्वतंत्रता मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा “

इतिहासकार रिची के अनुसार :- “जीवन के अधिकार के बाद साधारणतया स्वतंत्रता के अधिकार का नाम लिया जाता है”

स्वतंत्रता की परिभाषा :- स्वतंत्रता  व्यक्ति की अपनी इच्छानुसार कार्य करने की शक्ति का न्याय है।

स्वतंत्रता के दो अर्थ (Two Meanings of Freedom)

  1. स्वतंत्रता का नकारात्मक अर्थ  
  2. स्वतंत्रता का सकारात्मक अर्थ 

1.स्वतंत्रता का नकारात्मक अर्थ  :-

यह वह स्थति है जिसमे कोई बंधन नहीं होता है व्यक्ति को मनमानी करने की छूट हो। 

हॉब्स के अनुसार :- स्वतंत्रता का अभिप्राय निरोध व नियंत्रण का सर्वथा अभाव है कर्म को रूसो जे एस मिल मानता है। 

जे. एस. मिल कहते है अंतःकरण, विचार, प्रकाशन, व्यवसाय, दूसरों से संबंध बनाने के क्षेत्र में व्यक्ति को निर्भर छोड़ देना चाहिए” वो यह भी कहते हैं की  “राज्य को व्यक्ति के निजी कार्यों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए”। 

नकारात्मक अवधारणा में प्रमुख नियम निम्न है

  1. प्रतिबंधों का अभाव ही स्वतंत्रता है। 
  2. राज्य का कार्य क्षेत्र बढ़ने से व्यक्ति की स्वतंत्रता सीमित होती है। 
  3. कम से कम शासन करने वाली सरकार ही अच्छी होती है। 
  4. मानव के विकास हेतु खुली प्रतियोगिता का सिद्धांत हितकर है। 
  5. सरकार द्वारा समर्थित संरक्षण व्यक्तिगत हित ठीक नहीं है। 

स्वतंत्रता का सकारात्मक अर्थ

मनुष्य अपने लिए उन परिस्थितियों का निर्माण करें जो उनके विकास के साथ-साथ सभी नागरिकों के लिए भी ऐसी परिस्थितियां घट सके सकारात्मक स्वतंत्रता कहते हैं। 

स्पेंसर के अनुसार :- “प्रत्येक व्यक्ति वह सब कुछ करने को स्वतंत्र है जिसकी वह इच्छा करता है”

पेन के अनुसार:- “स्वतंत्रता उन बातों को करने का अधिकार है जो दूसरों के अधिकारों के विरुद्ध नहीं” 

महात्मा गांधी के अनुसार:- “स्वतंत्रता को नियंत्रण के अभाव के इस रूप में नहीं बल्कि व्यक्तियों के विकास की अवस्था की प्राप्ति के रूप में देखते हैं”

सकारात्मक अवधारणा के प्रमुख नियम निम्न प्रकार है-

  1. स्वतंत्रता पर व्यक्ति युक्त प्रतिबंध आवश्यक है। 
  2. समाज एवं व्यक्ति के हित परस्पर निर्भर है। 
  3. स्वतंत्रता का सही स्वरूप राज्य के कानून पालन में है। 
  4. राजनीतिक एवं नागरिक स्वतंत्रता का मूल्य आर्थिक स्वतंत्रता के बिना निरर्थक है। 
  5. स्वतंत्रता के अस्तित्व को स्वीकार करने के लिए दूसरों की स्वतंत्रता को मान्यता देना आवश्यक है। 
  6. स्वतंत्रता व्यक्ति सर्वागीण विकास की परिस्थितियां उत्पन्न करती है।

यह भी पढ़े:- विभिन्न देशों के प्रमुख राजनीतिक दल

स्वतंत्रता के विभिन्न रुप/प्रकार (Various Kinds of Liberty)

1. प्राकृतिक स्वतंत्रता (Natural Liberty) :-

मनुष्य को स्वतंत्रता का रूप जन्म के साथ ही प्रकृति द्वारा प्राप्त होता है  मनुष्य स्वयं भी इसका स्थानांतरण/बदली  नहीं कर सकता।

2. व्यक्तिगत स्वतंत्रता (Personal Liberty):-

मनुष्य को अपने निजी जीवन के कार्यों में स्वतंत्रता होनी चाहिए अपने विचार भाषण व्यक्तित्व खान-पान रहन-सहन पहनावा परिवार धर्म आदि क्षेत्रों में व्यक्ति को पूर्व स्वतंत्रता होनी चाहिए।

3. नागरिक स्वतंत्रता (Civil Liberty) :-

एक नागरिक होने के कारण मनुष्य को उस देश में मिलने वाली वे स्वतंत्रता जिन्हें समाज स्वीकार करता है और राज्य मान्यता प्रदान कर संरक्षण प्रदान करता है ।

गेटील के अनुसार :- स्वतंत्रता उन अधिकारों और विशेषधिकारों को कहते हैं जिनको राज्य अपने नागरिकों के लिए उत्पन्न करता है और रक्षा करता है।

4. राजनीतिक स्वतंत्रता (Political Liberty) :-

एक नागरिक के लिए राज्य के कार्यों व राजनीतिक व्यवस्था में हिस्सेदारी का नाम राजनीतिक स्वतंत्रता है।

गिरक्राइस्ट के अनुसार :- यह वह स्वतंत्रता है जिसमें प्रत्येक नागरिक को मतदान करने, चुनाव में हिस्सा लेने एवं सार्वजनिक पदों पर नियुक्ति पाने का अधिकार है।

5. आर्थिक स्वतंत्रता (Economic Liberty) :-

इसका अभिप्राय है कि व्यक्ति का आर्थिक स्तर ऐसा होना चाहिए जिसमें वह स्वाभिमान के साथ में बिना वित्तीय चुनौतियों का सामना किये स्वयं व परिवार का जीवन निर्वाह कर सकें यही आर्थिक सुरक्षा है।

6. धार्मिक स्वतंत्रता ( Religious Liberty) :-

इसका सम्बन्ध अन्तकरण से है यह व्यक्ति को किसी भी धर्म को मानने आस्था व आचरण की छूट देता है इस स्वतंत्रता में धर्म के संस्कार, रीति-रिवाज, पुजा के तरीके संस्थाओं के गठन व धर्म के प्रचार की आजादी होती है।

किसी भी व्यक्ति को कोई भी धर्म धारण करने का अधिकार है लेकिन किसी भी धर्म का गलत प्रचार – प्रसार करने का अधिकार नहीं है।

7. नैतिक स्वतंत्रता (Moral Liberty) :-

इसका सम्बन्ध व्यक्ति के चरित्र, नैतिकता एवं औचित्यपूर्ण व्यवहार से हैं अंतरण एवं नैतिक गुणों से प्रभावित होकर जब व्यक्ति कार्य करता है तो वह नैतिक स्वतंत्रता है । स्वार्थ, लोभ, क्रोध, घृणा, दुर्भाव जैसी चरित्रिक दुर्बलताओं के कारण आवेश में आकर कोई व्यक्ति जब इन क्रियाओं को करता है तो वह नैतिक चरित्रता का का हनन करता है।

8. सामाजिक स्वतंत्रता ( Social Liberty) :-

सामाजिक स्वतंत्रता सामाजिक समानता व न्याय की जननी मानी जाती है मनुष्य के साथ जाति, धर्म, वर्ण, वर्ग, लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाता जाना व समान व्यवहार करना सामाजिक स्वतंत्रता है हमारे संविधान में इसके लिए समानता का अधिकार दिया गया है।

9. राष्ट्रीय स्वतंत्रता (National Liberty) :-

कोई राष्ट्र (देश) जब संप्रभु राज्य बन जाता है तो यह राष्ट्रीय स्वतंत्रता का परिचायक है अर्थात व अन्य देशों के आदेश पालन से मुक्त हो जाता है उपनिवेशवाद (वह देश जो दूसरे देश को गुलाम बनाकर रखता हो) इसका सबसे बड़ा शत्रु है राष्ट्रीय स्वतंत्रता के बिना व्यक्ति की अन्य स्वतंत्रता न के बराबर है। 

10. संवैधानिक स्वतंत्रता ( Constitutional Liberty) :-

यह नागरिकों को संविधान द्वारा प्रदत्त की जाती है संविधान ऐसी स्वतंत्रता की रक्षा की गारन्टी देता है जिससे शासन भी कटौती नहीं कर सकता है यह व्यवस्था संविधान के अनुच्छेद 32 में संविधान उपचारों का अधिकार देता है। 

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